#afspa ‪‪Meghalaya‬, ‪Arunachal Pradesh‬, ‪Armed Forces (Special Powers) Act‬, ‪Ministry of Home Affairs‬‬


मेघालय से पूरी तरह और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों से हटा AFSPA कानून.







नई दिल्ली:
1.     मेघालय से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफस्पा) को पूरी तरह हटा लिया गया है, जबकि अरूणाचल प्रदेश में अब यह असम सीमा से लगे आठ थाना क्षेत्रों और पड़ोसी म्यांमार से लगे तीन जिलों में लागू रहेगा. सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) कानून 31 मार्च से मेघालय के सभी क्षेत्रों से हटा लिया गया है. यह कानून सुरक्षा बलों को बिना वारंट के ही तलाशी अभियान चलाने और किसी को भी कहीं से भी गिरफ्तार करने की शक्ति देता है.

2.     केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को मेघालय से विवादास्पद आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स ऐक्ट (AFSPA) को पूरी तरह से हटा लिया। अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों से भी इस ऐक्ट को हटा दिया गया है। इस कानून के तहत सुरक्षाबलों को विशेष अधिकार मिलते हैं, जिसका काफी समय से विरोध किया जाता रहा है। सितंबर 2017 तक मेघालय के 40 फीसदी क्षेत्र में अफस्पा लागू था। MHA के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के साथ बातचीत के बाद मेघालय से अफस्पा को पूरी तरह से हटाने का फैसला लिया गया।

3.     इसी प्रकार से AFSPA अब अरुणाचल प्रदेश के केवल 8 पुलिस स्टेशनों में ही लागू है, जबकि 2017 में यह 16 थानों में प्रभावी था। एक अन्य फैसले में गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर में उग्रवादियों के लिए आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत मदद राशि 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया है यह नीति 1 अप्रैल 2018 से लागू होगी। 

4.     इसके साथ ही सरकार ने विदेशी नागरिकों की यात्रा को लेकर भी बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड जानेवाले विदेशियों के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र के परमिट और संरक्षित क्षेत्र के परमिट में ढील दे दी है। हालांकि ये पाबंदी कुछ देशों के लिए जारी रहेगी, जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन शामिल हैं। 

5.     आपको बता दें कि पिछले 4 वर्षों में क्षेत्र में उग्रवाद से संबंधित घटनाओं में 63 फीसदी की गिरावट देखी गई है। गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 2017 में नागरिकों की मौत में 83 फीसदी और सुरक्षा बलों के हताहत होने के आंकड़े में 40 फीसदी की कमी आई है। वर्ष 2000 से तुलना की जाए तो 2017 में पूर्वोत्तर में उग्रवाद संबंधी घटनाओं में 85 फीसदी की कमी देखी गई है। वहीं, 1997 की तुलना में जवानों की मौत का आंकड़ा भी 96 फीसदी तक कम हुआ है।

         अरुणाचल प्रदेश में भी 16 के बजाए केवल 8 पुलिस स्टेशनों में ही अब यह कानून लागू
         सरकार ने प्रतिबंधित क्षेत्र में विदेशी नागरिकों की यात्रा को लेकर भी उठाया बड़ा कदम
         उग्रवादियों के लिए पुनर्वास नीति के तहत मदद राशि 1 लाख से बढ़ाकर 4 लाख रुपये की




A.    सुरक्षा हालात में सुधार की वजह से लिया गया फैसला
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य में सुरक्षा हालात में उल्लेखनीय सुधार की वजह से यह फैसला किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि अरूणाचल प्रदेश में अब यह विवादित कानून असम सीमा से लगे 16 थाना क्षेत्रों से घटकर आठ थाना क्षेत्रों में लागू रहेगा. इसके अलावा यह तिरप, चांगलांग और लांगडिंग जिलों में भी लागू रहेगा.

                                                                             B.    विभिन्न संगठन इस कानून को हटाने की मांग करते रहे हैं
विभिन्न संगठन पूर्वोत्तर के साथ - साथ जम्मू कश्मीर से इस कानून को हटाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह कानून सुरक्षा बलों कोअसैनिकोंके खिलाफ कार्रवाई करने कीअपार शक्तिदेता है. आफस्पा नगालैंड में कई दशकों और असम में 1990 के दशक की शुरूआत से लागू है.

क्या है अफस्पा? 
आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर्स ऐक्ट (AFSPA) सेना को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के विवादित इलाकों में सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार देता है। इस ऐक्ट को लेकर काफी विवाद है और इसके दुरुपयोग का आरोप लगाकर लंबे समय से इसे हटाने की मांग की जाती रही है। 

AFSPA का सेक्शन 4, सुरक्षा बलों को किसी भी परिसर की तलाशी लेने और बिना वॉरंट किसी को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। इसके तहत विवादित इलाकों में सुरक्षा बल किसी भी स्तर तक शक्ति का इस्तेमाल कर सकते हैं। संदेह होने की स्थिति उन्हें किसी गाड़ी को रोकने, तलाशी लेने और उसे सीज करने का अधिकार होता है। 


इस समय अफस्पा पूरे नगालैंड, असम, मणिपुर (7 विधानसभाओं को छोड़कर) में प्रभावी है। असम और मणिपुर राज्य की सरकारों के पास अब यह अधिकार है कि वे चाहें तो ऐक्ट को लागू रख सकती हैं या हटा सकती हैं।

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